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हिन्दुस्तान पत्रिका @ ब्यूरो रिपोर्ट

अटल बिहारी वाजपेयी का गुरुवार शाम 5.05 बजे एम्स में निधन हुआ

शुक्रवार को दिल्ली के स्मृति स्थल पर उनका अंतिम संस्कार किया गया 

नई दिल्ली.भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी से बात करने के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने वाराणसी में एक दिन के भीतर टेलीफोन लाइन बिछवा दी थी। बात 1984 की है। तब अटलजी यहां पेट के अल्सर का इलाज करा रहे थे और ऑपरेशन ब्लू स्टार को लेकर मशविरा लेने के लिए इंदिरा ने उन्हें फोन किया था।

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अटलजी की अंतिम विदाई के बाद  उनके चार दशकों के साथी शिवकुमार से बात की। वे कहते हैं- आज मेरी हालत वैसी ही है, जैसी हजरत निजामुद्दीन के जाने के बाद अमीर खुसरो की हुई थी। खुसरो ने लिखा था- गोरी सोई सेज पे, मुख पर डारे केस। चल खुसरो घर आपने, अब रैन भई चहुं देस।

इंदिरा जी ने अटलजी की बात नहीं मानी :शिवकुमार ने बताया, ”अटलजी का इलाज बनारस के जिंदल नेचुरोपैथी में इलाज चल रहा था। वहां किसी को बात करने की इजाजत नहीं थी। एक दिन अचानक टेलीफोन लाइन डलवाई जाने लगी। हमें अाश्चर्य हुआ। फिर बताया गया कि प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी बात करेंगी। शाम साढ़े 6 बजे फोन आया। इंदिराजी ने फोन करते ही अटलजी से पूछा कि आप कहां हैं? अटलजी ने जवाब दिया कि आप कैसी पीएम हैं। आपको अपने सांसदों के बारे में पता ही नहीं कि वे अस्पताल में भर्ती हैं। हास-परिहास खत्म होते ही इंदिराजी ने कहा कि आपसे एक राय लेनी है। दरबार साहिब में हथियारों के साथ भिंडरावाला घुस गया है। बहुत परेशानी हो रही है। मैं सोच रही हूं कि हमला करके उसे मार दें या गिरफ्तार कर लें। अटलजी ने तुरंत कहा- नहीं ये गलत कदम होगा। वह धार्मिक स्थल है। गिरफ्तार करने के और भी तरीके हैं। इंदिराजी ने जवाब दिया- मैंने तो फैसला कर लिया है। तो अटलजी बोले- ‘इसके परिणाम अच्छे नहीं होंगे। आपको फिर सोचना चाहिए।’ उस बात की परिणिति दुनिया जानती है।”



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